उत्तराखंड में नई बिजली दरों पर संशय: पुराने आंकड़ों के कारण प्रस्ताव अटका, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई समीक्षा बैठक

यूपीसीएल के 4,300 करोड़ की उपभोक्ताओं से वसूली या सरकार से एडजस्टरमेंट के पुराने-हिसाब किताब की वजह से नए वित्तीय वर्ष का बिजली दरों का प्रस्ताव अटक गया है।

Fact24 News :यूपीसीएल के 4,300 करोड़ की उपभोक्ताओं से वसूली या सरकार से एडजस्टरमेंट के पुराने-हिसाब किताब की वजह से नए वित्तीय वर्ष का बिजली दरों का प्रस्ताव अटक गया है। यूपीसीएल ने नियामक आयोग से 15 दिन का समय मांगा है।

उधर, 4,300 करोड़ के मामले पर अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक में समाधान निकाला जाएगा। यूपी से अलग होने के बाद उत्तराखंड के हिस्से में 1,058 करोड़ के एसेट्स और देनदारियां आईं थीं। इनमें से 508 करोड़ का निपटारा तो यूपी के टैरिफ और फिर उत्तराखंड के टैरिफ में हो गया था, लेकिन बचे हुए 550 करोड़ को लेकर कोई निर्णय नहीं हुआ था।

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने अस्तित्व में आने के बाद इस रकम को तभी सैटल करने का आदेश दिया, जबकि इस संबंध में कोई शासनादेश जारी हो, लेकिन आज तक शासनादेश जारी नहीं हुआ। इस वजह से ये देनदारियां बढ़ती हुईं 4,300 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक

मंगलवार को मुख्य सचिव एवं निगम अध्यक्ष राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में 120वीं बोर्ड बैठक हुई। बैठक में नई विद्युत दरों पर चर्चा हुई तो 4,300 करोड़ का पुराना हिसाब-किताब फिर बीच में आ गया। चूंकि, यूपीसीएल पर करीब 5000 करोड़ की देनदारियां हैं।

इसलिए यूपीसीएल प्रबंधन चाहता है कि 4,300 करोड़ का ये बोझ उपभोक्ताओं पर डालने के बजाए सरकार के साथ देनदारियों से एडजस्ट किया जाए। इसका प्रस्ताव दो बार वित्त विभाग रिजेक्ट कर चुका है। बैठक में तय हुआ

उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) के 4,300 करोड़ रुपये की देनदारियों और इसे उपभोक्ताओं पर डालने के बजाय सरकार से एडजस्ट करने के मामले ने नई बिजली दरों के प्रस्ताव को रोक दिया है। यूपीसीएल ने उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग से 15 दिन का समय मांगा है ताकि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके।

समस्या का मूल:
उत्तर प्रदेश से बंटवारे के बाद की देनदारियां:
उत्तराखंड बनने के बाद 1,058 करोड़ रुपये की एसेट्स और देनदारियां मिली थीं। इनमें से 508 करोड़ का निपटारा दोनों राज्यों के टैरिफ में किया गया, लेकिन शेष 550 करोड़ पर निर्णय नहीं हो सका।
विद्युत नियामक आयोग का आदेश:
आयोग ने इस रकम को सैटल करने का निर्देश दिया था, लेकिन इसके लिए शासनादेश की आवश्यकता थी। यह आदेश आज तक जारी नहीं हुआ, जिसके कारण ये देनदारियां बढ़कर 4,300 करोड़ हो गईं।

बैठक के मुख्य बिंदु:
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में चर्चा:
बैठक में पुरानी देनदारियों को सरकार के साथ एडजस्ट करने पर जोर दिया गया। यूपीसीएल पर वर्तमान में 5,000 करोड़ रुपये से अधिक की देनदारियां हैं।

 

वित्त विभाग की आपत्ति:
यूपीसीएल का प्रस्ताव दो बार वित्त विभाग खारिज कर चुका है।

आगे की योजना:
मुख्य सचिव, वित्त सचिव, और ऊर्जा सचिव के साथ समाधान पर चर्चा के लिए एक विशेष बैठक आयोजित होगी।

यूपीसीएल की मांग है कि इस 4,300 करोड़ के बोझ को उपभोक्ताओं पर न डाला जाए और सरकार के साथ इसका निपटारा किया जाए। हालांकि, इसमें वित्त विभाग की मंजूरी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है

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