काफल के बहाने सियासत की बात — हरीश रावत की पार्टी में क्या पक रहा है?

देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने पूर्व में अपने पैतृक गांव मोहनरी में काफल पार्टी दी थी. इस पार्टी में लोगों ने पहाड़ी फल काफल का जमकर स्वाद लिया था. एक बार फिर आज हरीश रावत लोगों को काफल पार्टी देने जा रहे हैं. जिसमें काफी लोगों के पहुंचने की उम्मीद है. पूर्व में हरीश रावत की दावतों में कांग्रेस और विपक्ष के नेता भी पहाड़ी उत्पादों व फलों का जमकर लुत्फ उठाते दिखाई दिए थे.

गौर हो कि पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश समय-समय पर पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने की कोशिश करते दिखाई देते हैं. हरीश रावत ने इस बार फिर काफल पार्टी का आयोजन करने का निर्णय लिया है. उनका कहना है कि काफल एक पारंपरिक फल है और इस फल को खाने से कई प्रकार की बीमारियों से निजात मिलती है. हरीश रावत का कहना है कि भले ही उनकी काफल पार्टी रविवार यानि आज है, लेकिन जो काफल यहां पर आ रहे हैं, वह लोगों को चखने को मिल रहे हैं. काफल पार्टी की शुरुआत साल 2017 से हुई थी, लेकिन इस बात की बड़ी प्रसन्नता है कि देहरादून में जगह-जगह काफल की ठेलिया दिखाई दे रही हैं, और उन ठेलियों में काफल मुंह मांगे दामों पर बिक रहे हैं. हरीश रावत का कहना है कि काफल के नाम से ही मुंह में पानी आ जाता है, जो काफी स्वादिष्ट फल है. हरीश रावत ने कारगी चौक के पास 4 बजे काफल पार्टी रखी है. बता दें कि हरीश रावत भुट्टा, ककड़ी,रायता, माल्टा, जामुन, आम पार्टी आदि देते रहते हैं और उन्होंने हमेशा पहाड़ी उत्पादों की दावतें देकर खूब सुर्खियां बटोरी हैं. वहीं देहरादून में काफल ₹600 किलो बिक रहा है.

 

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