पहाड़ और मैदान के मामले में गरमाया मुद्दा, संसदीय मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल की टिप्पणी पर सड़क से सदन तक हंगामा

देहरादून- फैक्ट 24 न्यूज़: उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के पांचवें दिन की कार्यवाही में हंगामा शुरू हो गया। यह हंगामा संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा शुक्रवार को पहाड़ और मैदान के मुद्दे पर दिए गए बयान को लेकर हुआ। विपक्ष के विधायकों ने इस बयान पर आपत्ति जताई और सदन में हंगामा मच गया। आपको बतायें की संसदीय कार्यमंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने पहाड़ के लोगों पर अशोभनीय टिप्पणी की थी जिसका सदन से लेकर सड़क है जोरदार विरोध हो रहा है।

बदरीनाथ से विधायक लखपत बुटोला ने कहा कि पहाड़ गाली सुनने के लिए नहीं बना है। उन्होंने अपनी नाराजगी जताते हुए सदन में कागज फाड़ दिए। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्या ने भी संसदीय कार्य मंत्री के बयान पर आपत्ति जताई। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि उन्होंने ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया था, लेकिन विपक्ष ने उनके बयान को लेकर माफी मांगने की मांग की।

इस दौरान सत्ता पक्ष के मंत्रियों ने प्रेमचंद अग्रवाल का साथ नहीं दिया। उनके बगल में बैठे मंत्रियों ने उनके पक्ष में खड़े होने से इनकार कर दिया। विपक्ष के विधायकों ने मंत्री पर हमलावर रुख अपनाया और उनसे माफी मांगने की मांग की। निर्दलीय विधायक उमेश कुमार ने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ से आने वाले लोग देश के कई बड़े पदों पर हैं और यह राज्य उनका है।

लखपत बुटोला ने आक्रोश में कागज फाड़े और कहा कि पहाड़ के विधायक गाली खाने के लिए सदन में नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता नाराज है और उन्हें लगता है कि विधायक गाली खाने के लिए सदन में जा रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने बुटोला से कहा कि सदन को राजनीति का अड्डा न बनाएं और मामले को शांत करें। लेकिन बुटोला ने कहा कि अगर पहाड़ के लोगों को गाली दी जाएगी तो वे ऐसे सदन में नहीं रहना चाहते। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें सदन से बाहर जाने की अनुमति दी। बुटोला ने कागज फाड़कर सदन से बाहर जाने का इरादा जताया और अपने दल से अलग बैठ गए।

इधर हल्द्वानी, देहरादून समेत तमाम शहरों में लोग मंत्री अग्रवाल का पुतला दहन कर विरोध कर रहे हैं। हल्द्वानी में राज्य आंदोलनकारी हरीश पनेरू सहित कई लोगों ने जमकर नारेबाज़ी और विरोध प्रदर्शन किया। यह घटना उत्तराखंड विधानसभा में तनावपूर्ण माहौल का संकेत देती है, जहां पहाड़ और मैदान के मुद्दे पर विवाद गहरा गया है।

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