
हल्द्वानी – फैक्ट 24 न्यूज़ : नगर निगम चुनाव के लिए ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित मेयर सीट ने राजनीतिक हलचल को नई दिशा दे दी है। भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों के संभावित दावेदारों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, और यह चुनाव क्षेत्र में राजनीतिक समीकरणों को नया रूप देने की क्षमता रखता है।
भाजपा से इन्होंने की दावेदारी पेश –
भाजपा के ओबीसी मोर्चा जिला अध्यक्ष नन्हे कश्यप ने मेयर पद के लिए अपनी दावेदारी ठोक दी है। नन्हे कश्यप ने अपने समर्थकों के साथ बैठक करते हुए पार्टी के प्रति एकजुटता और संगठनात्मक समर्पण की बात कही। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी, उसे समर्थन दिया जाएगा। भाजपा के वरिष्ठ नेता गजराज बिष्ट, जो मंडी समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं, का नाम भी दावेदारों में उभर कर सामने आ रहा है। पार्टी की रणनीति इस पर निर्भर करेगी कि स्थानीय समीकरणों और ओबीसी मतदाताओं के बीच किस उम्मीदवार की स्वीकार्यता अधिक है।
कांग्रेस से लाल सिंह ने ठोकी दावेदारी –
कांग्रेस से लाल सिंह पंवार, जो पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष 2013-14 रह चुके हैं, ने अपनी दावेदारी पेश की है। उनकी लोकप्रियता और युवाओं के बीच उनकी पकड़ ने उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभारा है। सामाजिक कार्यों में उनकी भागीदारी और मिलनसार व्यक्तित्व ने उन्हें ओबीसी वर्ग का एक प्रभावशाली चेहरा बना दिया है। वहीं, व्यापारी नेता नवीन वर्मा भी कांग्रेस की तरफ से दावेदारी की दौड़ में शामिल हैं। कांग्रेस के लिए चुनौती यह होगी कि वह सही उम्मीदवार का चयन कर भाजपा को कड़ी टक्कर दे सके।
आरक्षण का प्रभाव –
ओबीसी वर्ग के लिए सीट आरक्षित होने से हल्द्वानी की राजनीति में नए चेहरे और नए समीकरण सामने आए हैं। दोनों प्रमुख दलों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे जातीय समीकरणों, क्षेत्रीय प्रभाव, और संगठनात्मक मजबूती को ध्यान में रखते हुए उम्मीदवार चुनें। आरक्षण के कारण पुराने दिग्गज नेताओं के विकल्प सीमित हो गए हैं, लेकिन इससे नए और युवा नेताओं को अवसर मिला है।
इस चुनाव में उम्मीदवारों की छवि, क्षेत्रीय जुड़ाव और पार्टी संगठन की रणनीति अहम भूमिका निभाएगी। अंतिम सूची और दोनों दलों की रणनीतिक चालों से चुनावी तस्वीर और साफ होगी।
