
देहरादून: उत्तराखंड कैडर के आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन अब 1 मार्च 2025 से अपनी सेवाएं नहीं देंगे. वन विभाग में सीसीएफ के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे मनोज चंद्रन का स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति नोटिस यही बयां कर रही है.दरअसल मनोज चंद्रन ने 1 अक्टूबर को शैक्षिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया था. जिसे 8 अक्टूबर को वन मुख्यालय ने शासन को फॉरवर्ड किया था. हालांकि इस पर निर्णय की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है.
आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन 1999 बैच के अधिकारी हैं. मूल रूप से मनोज चंद्रन केरल के रहने वाले हैं और उत्तराखंड में शासन में अपर सचिव से लेकर वन विभाग में एचआरडी समेत विभिन्न पदों पर रह चुके हैं. वैसे तो मनोज चंद्रन काफी समय से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के पक्ष में दिखाई दे रहे थे, लेकिन उनका इसके लिए आवेदन ऐसे समय पर सामने आया, जब वह शासन स्तर के एक आरोप पत्र का सामना कर रहे हैं.
ऑल इंडिया सर्विस (death come retirement benefits) के बिंदु 16 (2A) के अनुसार कोई अधिकारी अपनी 20 साल की सेवाएं पूरी करते हुए 3 महीने के पूर्व नोटिस के साथ सेवानिवृत्ति ले सकता है. मामले में आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन ने सरकार को 5 महीने का सेवानिवृत्ति के लिए पूर्व नोटिस दे दिया था. जिसका समय भी पूरा हो चुका है. इस लिहाज से तो वो वीआरएस के नियमों को पूरा कर रहे हैं.
हालांकि आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति को लेकर असमंजस इस बात को लेकर है कि चार्जशीट के हालातों में भी क्या ये नियम सामान्य स्थिति की तरह ही लागू होंगे. तो इसपर अहम बिंदु ये है कि मनोज चंद्रन के मामले की जांच पूरी हो चुकी है और जांच के आधार पर ना तो उन्हें निलंबित किया गया है और ना ही कोई दीर्घ शास्ती उन्हें दी गई है.इस सबके बावजूद शासन इस मामले में अधिकार संपन्न दिखता है. शासन चाहे तो अफसर के नोटिस को दरकिनार भी कर सकता है. हालांकि इसके पीछे अफसर पर लगे आरोप उसके खिलाफ बर्खास्तगी, या हटाने के लेवल के होने चाहिए. यानी ऐसा मामला बनता हो इसमें उसे अधिकारी को दीर्घ शास्ति दी जा सके.
आईएफएस अधिकारी मनोज चंद्रन पर नियम विरुद्ध प्रमोशन और नियमितीकरण करने का आरोप है. वन विभाग में मानव संसाधन की जिम्मेदारी संभालते हुए उन्होंने 504 कर्मियों को नियमित किया था. इसके अलावा उनके द्वारा आरक्षी पद से वन दारोगा पद पर प्रमोशन किए गए थे जिन्हें मानक से ज्यादा माना गया, और जिसकी जांच के आदेश दिए गए.
