
हल्द्वानी – फैक्ट 24 न्यूज़: भ्रष्टाचार के खिलाफ उत्तराखंड सरकार और सतर्कता विभाग की कार्रवाई ने एक बार फिर साबित किया है कि भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ी कानूनी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। अमित गिरी, जो लोक निर्माण विभाग (विद्युत/यांत्रिक) के अपर सहायक अभियंता थे, को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया था। यह मामला 2018 का है, जब शिकायतकर्ता धीरेंद्र सिंह ने सतर्कता विभाग को अमित गिरी के खिलाफ रिश्वत की मांग करने की शिकायत दर्ज की थी।
विशेष न्यायाधीश नीलम रात्रा की अदालत ने अमित गिरी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 और 13 (1) (डी) के तहत दोषी ठहराया है। कोर्ट ने उन्हें 5 साल के कठोर कारावास और 2 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है। साथ ही, जुर्माना न भरने पर 6 महीने की अतिरिक्त कैद की सजा भी दी गई है।
यह मामला उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रहे अभियान की एक बड़ी सफलता है। सतर्कता विभाग के पुलिस उपाधीक्षक अनिल सिंह मनराल ने आम जनता से भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना टोल फ्री नंबर 1064 पर देने की अपील की है।
इस तरह के मामले समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और सरकारी तंत्र में पारदर्शिता लाने में मददगार साबित होते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में भी ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा।
