उत्तराखंड में गर्मी का कहर, पेयजल संकट गहरा सकता है! जानें पानी की डिमांड और सप्लाई के हालात-UTTARAKHAND SUMMER 2025

उत्तराखंड में इस साल का गर्मी का मौसम रिकॉर्ड तोड़ने की संभावना है, जिससे न केवल तापमान में बढ़ोतरी होगी, बल्कि राज्य में पेयजल संकट भी गहरा सकता है। हीट वेव के कारण जल स्रोतों पर दबाव बढ़ने के साथ-साथ पानी की डिमांड में भी भारी वृद्धि हो रही है

  • गर्मियों में पानी की खपत में वृद्धि, सप्लाई पर संकट
  • उत्तराखंड के लिए गर्मी का सीज़न चुनौतीपूर्ण
  • उत्तराखंड में गर्मी के मौसम में पानी की गंभीर स्थिति, सरकार की क्या योजना है?

Uttrakhand News:उत्तराखंड में इस साल का गर्मी का मौसम रिकॉर्ड तोड़ने की संभावना है, जिससे न केवल तापमान में बढ़ोतरी होगी, बल्कि राज्य में पेयजल संकट भी गहरा सकता है। हीट वेव के कारण जल स्रोतों पर दबाव बढ़ने के साथ-साथ पानी की डिमांड में भी भारी वृद्धि हो रही है। राज्य के कई क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति में कमी का सामना करना पड़ सकता है। इस रिपोर्ट में.

इस बार गर्मियों में बढ़ेगी हीट वेव्स के दिनों की संख्या: उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से लेकर पहाड़ों तक अब तापमान तेजी से बढ़ने लगा है. मौसम विभाग के अधिकारी बता रहे हैं कि इस बार आने वाली गर्मी को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लिया जा सकता है. दरअसल पिछले साल उत्तराखंड में गर्मी ने ऐसा कारनामा किया था कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 100 सालों का रिकॉर्ड टूट गया था. देहरादून शहर में अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था.

मौसम विभाग के निदेशक ने किया सतर्क: ऐसे में इस बार भी मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि गर्मियों में इस बार हालात और चुनौती भरे हो सकते हैं. उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि-

मौसम विभाग के प्रिडिक्शन के अनुसार इस बार हीट वेव्स के दिनों की संख्या बढ़ेगी. पिछले साल 15 मई से लेकर 15 जून तक एक महीने का पूरा स्पेल ऐसा रहा था कि तापमान लगातार ही 40 डिग्री से ऊपर की तरफ गया था. गर्मियों में तापमान पहले से अधिक बढ़ने के पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग एक कारण तो है ही, अन्य भी कई डोमेस्टिक कारणों की वजह से तापमान बढ़ता है. इन स्थितियों के चलते निश्चित तौर से पेयजल आपूर्ति में चुनौतियां बढ़ती हैं. इसके लिए सरकार को रणनीति बनाने की भी जरूरत है.
-विक्रम सिंह, मौसम निदेशक, उत्तराखंड-

गर्मियों में पानी को तरसेंगे, जानें क्या है जल संस्थान की तैयारी: पूरे राज्य की अगर बात करें तो सभी नगरीय क्षेत्रों में सामान्य दिनों में 971.91% MLD पेयजल की डिमांड रहती है. इसके सापेक्ष उत्पादन केवल 678.96 MLD ही हो पाता है. गर्मियों में स्थिति और भयावह हो जाती है. उदाहरण के तौर पर अगर केवल उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर की बात की जाए, तो यहां पर सामान्य दिनों में पेयजल की डिमांड 288 MLD है. इसकी जगह उत्पादन 257 MLD हो पाता है. गर्मियों में स्थिति और खराब हो जाती है. इसको लेकर मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि-

गर्मियों में अक्सर सरफेस वाटर जो कि देहरादून शहर में ज्यादातर बिंदाल नदी और मौसी फॉल से शहंशाही आश्रम होते हुए आता है, वह तकरीबन सूख जाता है. उसके बाद डिमांड और सप्लाई में लगातार अंतर बढ़ता जाता है. यही नहीं गर्मियों में होने वाले पावर कट से ट्यूबवेल अगर फेल हो जाता है, तो वहां पर भी वाटर क्राइसिस बढ़ जाती है. इसके अलावा टोपोग्राफी की वजह से भी कई घरों में पानी के प्रेशर में दिक्कत आती है.
-नीलिमा गर्ग, मुख्य महाप्रबंधक, उत्तराखंड जल संस्थान

कहां कितने वाटर टैंकर: नीलिमा गर्ग का कहना है कि इन चुनौतियों से निपटने के लिए उत्तराखंड जल संस्थान ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर 74 वाटर टैंकर केवल देहरादून शहर के लिए लगाए हैं. पूरे प्रदेश में 274 एक्स्ट्रा वाटर टैंकर की व्यवस्था की गई है. दिक्कत अगर ज्यादा बढ़ी, तो विभाग किराए पर भी वाटर टैंकर लेने के लिए तैयार है. प्रेशर के लिए पंप वगैरह की भी व्यवस्था की जाती है.

सप्लाई औरडिमांड में बड़ा अंतर: उत्तराखंड के हर जिले में पेयजल डिमांड और सप्लाई में बड़ा अंतर है. दोनों मंडलों में यही स्थिति है. पहले हम बात करते हैं गढ़वाल मंडल के जिलों की.

 

गढ़वाल मंडल के जिलों में डिमांड और सप्लाई में अंतर

 

रुद्रप्रयाग जिले के शहरी क्षेत्र में तकरीबन 53,097 लोगों के साथ 5,789 परिवार मौजूद हैं. इनकी पेयजल डिमांड 7.69 MLD है. पेयजल प्रोडक्शन केवल 4.14 MLD ही हो पाता है.

टिहरी जिले के 11 नगरी क्षेत्र में 24,602 परिवारों के 1 लाख 82 हजार लोग रहते हैं. इनके लिए 27.49 MLD पेयजल की डिमांड है. उत्पादन केवल 14.29 MLD हो पाता है.

हरिद्वार जिले के 14 नगरीय क्षेत्रों में 12 लाख से ज्यादा लोग 1 लाख 67 हजार परिवारों में रहते हैं. इनकी पेयजल डिमांड 180.44 MLD है. यहां पर उत्पादन केवल 154.62 MLD ही हो पाता है.

पौड़ी जिले के 7 नगरीय क्षेत्रों में 57,223 परिवारों में 4 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. इनकी पेयजल डिमांड 60.26 MLD की है. यहां पर प्रोडक्शन केवल 34.60 एमएलडी हो पाता है.

उत्तरकाशी जिले के 6 नगरीय क्षेत्रों में मौजूद 12 हजार परिवारों के एक लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. पेयजल डिमांड 16.36 MLD की है. यहां पर उत्पादन केवल 8.90 MLD है.

देहरादून जिले के 7 नगरीय क्षेत्रों में सबसे ज्यादा 2 लाख 88 हजार परिवारों में 24 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं. इनकी पेयजल डिमांड 360.04 MLD की है. यहां पर प्रोडक्शन केवल 291.04 MLD हो पाती है.

चमोली जिले के 10 नगरीय क्षेत्रों में मौजूद 20 हजार परिवारों के 1 लाख 45 हजार से ज्यादा लोगों की पेयजल डिमांड 21.83 MLD है. उपलब्ध पेयजल उत्पादन केवल 12.24 MLD है.

 

कुमाऊं मंडल के जिलों की स्थिति भी गढ़वाल मंडल के जिलों जैसी ही है. यहां भी पेयजल डिमांड और सप्लाई में बहुत ज्यादा अंतर है.

कुमाऊं मंडल के जिलों में पेयजल डिमांड और सप्लाई में अंतर

  1. नैनीताल जिले के 7 नगरीय क्षेत्रों में मौजूद 96 हजार परिवारों के 6 लाख 24 हजार से ज्यादा लोगों की पेयजल डिमांड 93.66 MLD की है. यहां पर पेयजल उत्पादन केवल 36.53 MLD है.
  2. अल्मोड़ा जिले के पांच नगरीय क्षेत्रों में मौजूद 14 हजार से ज्यादा परिवारों के 1 लाख 63 हजार से ज्यादा लोगों की पेयजल डिमांड 24.55 MLD की है. यहां पर पेयजल का उत्पादन केवल 9.54 MLD ही हो पता है.
  3. उधम सिंह नगर के 18 शहरी क्षेत्रों में 1 लाख 57 हजार परिवारों में तकरीबन 92 लाख लोग रहते हैं. इनकी पेयजल डिमांड 137.97 MLD की है. उत्पादन केवल 65.37 MLD ही हो पता है.
  4. बागेश्वर जिले के 3 नगरीय क्षेत्रों में 11,226 परिवार में 62,619 लोग रहते हैं. इनकी पेयजल डिमांड 9.39 MLD है. प्रोडक्शन केवल 5.37 MLD हो पाता है.
  5. पिथौरागढ़ जिले के 5 नगरीय क्षेत्रों में 21,933 परिवार परिवारों में 1 लाख 35 हजार लोग रहते हैं. इनके लिए 20.37 MLD पेयजल की डिमांड है. उत्पादन केवल 11.37 MLD हो पता है.
  6. चंपावत जिले जिले के 4 नगरीय क्षेत्रों में मौजूद 10,542 परिवारों के 77 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं. इनकी पेयजल डिमांड 11.59 MLD की है. यहां पर केवल 3.68 एमएलडी पीने का पानी ही उपलब्ध है.

सरकार की तैयारियों पर कांग्रेस ने उठाए सवाल: इस तरह से आने वाले गर्मी के सीजन की इस चुनौती को लेकर जहां एक तरफ जल संस्थान अपनी तैयारी में जुटा हुआ है, तो वहीं विपक्ष ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस का कहना है कि-

हर साल गर्मियों के मौसम में पेयजल के लिए त्राहिमाम देखने को मिलता है. इसके बावजूद भी सरकार स्थायी तौर पर कोई समाधान नहीं ढूंढती है. अभी गर्मियां आनी बाकी हैं, लेकिन अभी से ही पेयजल की समस्याएं देखने को मिल रही हैं. जिस तरह से मौसम वैज्ञानिक आने वाली गर्मी के मौसम को लेकर अपना पूर्वानुमान जारी कर रहे हैं, उसे देखते हुए अभी तक सरकार की कोई खास तैयारी देखने को नहीं मिल रही है.
-गरिमा दसौनी, मुख्य प्रवक्ता उत्तराखंड कांग्रेस-

 

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