देहरादून- 2025 में सुधरेगी प्रदेश की चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, धामी सरकार का हास्पिटलों को लेकर एक और बड़ा निर्णय

देहरादून – फैक्ट24 न्यूज: उत्तराखंड सरकार ने सरकारी अस्पतालों के संचालन को लेकर बड़ा कदम उठाया है। 2017 में वर्ल्ड बैंक द्वारा पोषित उत्तराखंड हेल्थ सिस्टम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश के नौ सरकारी अस्पतालों को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चलाया जा रहा था।

“पीपीपी मोड़ अस्पताल” का नाम सुनकर ऐसा लगता है कि यह किसी विशेष क्षेत्र में एक अस्पताल का नाम हो सकता है, जो “पीपीपी” (Public-Private Partnership) मॉडल पर काम करता है। पीपीपी मॉडल में, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र मिलकर किसी प्रोजेक्ट या सेवा को संचालित करते हैं। ऐसे अस्पतालों में निजी कंपनियां सरकार के साथ मिलकर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती हैं, ताकि गुणवत्ता और पहुंच दोनों में सुधार किया जा सके।

 इस मोड के तहत टिहरी, पौड़ी और नैनीताल जिलों के कई अस्पतालों को प्राइवेट पार्टनर के साथ मिलकर चलाया जा रहा था। हालांकि, स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार को इस व्यवस्था को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं।

इसके तहत पौड़ी जिले में जिला चिकित्सालय पौड़ी, संयुक्त चिकित्सालय पाबौ और संयुक्त चिकित्सालय घिण्डियाल के साथ ही नैनीताल जिले में रामदत्त जोशी संयुक्त चिकित्सालय रामनगर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भिकियासैंण और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बीरोंखाल शामिल है.

इस पर विचार करते हुए सरकार ने निर्णय लिया है कि 30 दिसंबर 2024 तक इन सभी अस्पतालों को पीपीपी मोड से हटाकर सरकार के नियंत्रण में लाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि 2017 में डॉक्टरों की कमी और अन्य कारणों से अस्पतालों को पीपीपी मोड पर चलाने का निर्णय लिया गया था, लेकिन अब राज्य में डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त है और मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी बढ़ चुकी है।

अब सरकार का उद्देश्य इन अस्पतालों को अपनी निगरानी में लाकर मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है।

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