
हल्द्वानी – फैक्ट24 न्यूज़ : शहर की सियासत में नवीन वर्मा का नाम इस समय चर्चा का केंद्र बन गया है। नगर निगम हल्द्वानी-काठगोदाम की सीट अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित होने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां अपने मेयर उम्मीदवार के चयन में मुश्किल का सामना कर रही हैं।इन दिनों दोनों पार्टियों में नवीन वर्मा का नाम चर्चा में है उनके आज भाजपा में शामिल होना, फिर पार्टी के अंदर उनके खिलाफ उठे विरोधी सुर और आरएसएस के प्रभाव के चलते उनकी संभावित जॉइनिंग का रुक जाना, यह घटनाक्रम राजनीति में बदलते समीकरणों को दर्शाता है।
भाजपा में नवीन वर्मा की जॉइनिंग पर रोक क्यों लगी?
भाजपा ने वर्मा को कांग्रेस से अपनी तरफ खींचने की कोशिश की, आज हल्द्वानी में दोपहर 2 बजे नवीन वर्मा बीजेपी का दामन थामने वाले थे. लेकिन पार्टी के अंदर आरएसएस के एक वर्ग के विरोध और स्थानीय नेताओं की नाराजगी के चलते यह कदम फिलहाल रुक गया है। आरएसएस का यह विरोध खासतौर पर इसलिए आया क्योंकि ओबीसी समुदाय से आने वाले बड़े नेताओं की नज़र इस सीट पर पहले से ही थी। पार्टी में पहले से मौजूद स्थानीय नेताओं का कहना है कि कांग्रेस से आए किसी नेता को टिकट देना उनके प्रति अन्याय होगा।
कांग्रेस के लिए क्या है स्थिति?
कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल ने वर्मा पर राजनीति में लालच का आरोप लगाया है. सीट OBC होने पर नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश लगातार नवीन वर्मा के सम्पर्क में थे.अब ऐसे में अगर भाजपा ने उन्हें जगह नहीं दी, तो कांग्रेस के लिए वर्मा को वापस लेने का एक अवसर बन सकता है।
राजनीति में संभावनाएं अनंत हैं –
नवीन वर्मा का राजनीतिक भविष्य अभी अनिश्चित है। भाजपा ने उन्हें रोकने का फैसला लिया है, लेकिन इससे हल्द्वानी में पार्टी के अंदर एक बड़ा असंतोष पैदा हुआ है। दूसरी ओर, कांग्रेस के लिए यह घटनाक्रम वर्मा को अपने पक्ष में वापस लाने का मौका हो सकता है। इस पूरी स्थिति में यह देखना दिलचस्प होगा कि हल्द्वानी की राजनीति में ओबीसी उम्मीदवार के चयन के नाम पर कौन सा दल बाजी मारता है।
कौन हैं नवीन वर्मा –
नवीन वर्मा प्रांतीय उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष नवीन वर्मा व्यापार और उद्योग जगत में एक प्रभावशाली नेता के रूप में पहचाने जाते हैं। एक प्रमुख व्यक्तित्व हैं जो हल्द्वानी और उत्तराखंड की राजनीति और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। वह न केवल एक सफल सर्राफा कारोबारी हैं, बल्कि कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े हुए हैं।
सामाजिक और शैक्षिक संगठनों में योगदान –
महादेव गिरी संस्कृत महाविद्यालय, हल्द्वानी के प्रबंधक।
स्पोर्ट्स एसोसिएशन, हल्द्वानी, संगीत संकल्प, हल्द्वानी, और सरस्वती कला संगीत संस्था, हल्द्वानी के अध्यक्ष।
जमरानी बांध निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक के रूप में वह जल संसाधन से जुड़े मुद्दों को उठाते रहे हैं।
उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रमुख राज्य आंदोलनकारियों में से एक हैं।
उन्होंने विद्युत नियामक आयोग, उत्तराखंड के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है।
उनकी व्यापक भूमिका हल्द्वानी और उत्तराखंड के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उनके प्रभाव को स्पष्ट करती है। यही कारण है कि इन दिनों उनका नाम हल्द्वानी की सियासत और सामाजिक हलचलों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
